Kapahi-Arthi-School: अरठी पंचायत की अनदेखी से प्राथमिक स्कुल और ग्रामीणों में विवाद

Kapahi-Arthi-School: अरठी पंचायत की अनदेखी से प्राथमिक स्कुल और ग्रामीणों में विवाद

Kapahi-Arthi-School: अरठी पंचायत की अनदेखी से प्राथमिक स्कुल और ग्रामीणों में विवाद
अरठी पंचायत की अनदेखी से प्राथमिक स्कुल और ग्रामीणों में विवाद

अरठी पंचायत की अनदेखी का खमियाजा भुगत रहे ग्रामीण और शिक्षा विभाग

Kapahi-Arthi-School: अरठी ग्राम पंचायत की अनदेखी का खमियाजा कपाही गांव के ग्रामीणों और प्राथमिक स्कूल के बच्चों और शिक्षकों को भुगतना पड रहा है। रास्ते और आवाजाही को लेकर पंचायत प्रधान के सामने ही ग्रामीण और प्राथमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों में काफी देर खींचतान चलती रही। शिक्षा विभाग के अधिकारी ने ग्रामीण और पंचायत को 6 माह की और मोहलत देते हुए चैतावनी दी है। कि छह माह के भीतर पंचायत रास्ते का निर्माण कर ले, इस अवधि के बाद स्कूल परिसर से रास्ता स्थाई रूप से बंद कर दिया जाएगा।

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Kapahi-Arthi-School: स्कूल की बाउंड्री में फेंसिंग को लेकर स्कूल परिसर से रास्ता स्थाई रूप से बंद

कपाही प्राथमिक स्कूल में 6 माह में पंचायत और ग्रामीणों को रास्ते के निर्माण की मोहलत देने के साथ ही यह मामला फिलहाल 6 माह के लिए सुलझा लिया गया है। यहां बता दे की स्कूल सरकारी स्कूल को गांव में स्थापित करने के लिए सैकड़ो ऐसे स्कूल है। जहां ग्रामीणों ने स्वेच्छा से जमीन दान देकर स्कूल बनवाए हुए हैं। वहीं कई जगह ऐसे भी मामले सामने आते हैं। जहां स्कूल की जमीन को हथियाना के चक्कर में अतिक्रमण और ऐसे रास्ते निकाल कर जुगाड़ किए गए हैं।

अरठी पंचायत में प्राथमिक शिक्षा विभाग के बच्चों की सुरक्षा के रास्ते को लेकर विवाद

विकास खंड सुंदर नगर के तहत अरठी पंचायत में रास्ते को लेकर एक नया विवाद खडा हो गया। जब प्राथमिक शिक्षा विभाग के स्कूल ने बच्चों की सुरक्षा और स्कूल परिसर के चारों ओर लोहे की जालियां लगाकर फेंसिंग कर डाली। शिक्षा विभाग के सुरक्षा को लेकर अपने भूमि पर चारों ओर की गई। इस कार्रवाई से स्थानीय ग्रामीणों के प्रयोग में आने वाला रास्ता भी चपेट में आ गया।

अगर पंचायत समय रहते रास्ते का निर्माण कर लेती तो नहीं आती यह नौबत

आरोप है कि जबकि पंचायत द्वारा बीते तकरीबन 15 वर्षों में इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया। अगर पंचायत द्वारा समय रहते रास्ते का निर्माण कर लिया होता, तो यह नौबत नहीं आती। बता दें कि रास्ता शिक्षा विभाग के स्कूल के बीचो. बीच गुजर रहा था। हालांकि स्कूल के सीमा के बाहर भी अतिरिक्त जमीन-भूमि है। लेकिन लोग सुविधा के चक्कर में स्कूल के रास्ते से ही आवाजाही करते रहे हैं।

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जब अधिकारों का तकाजा लेकर आरोप लगाते रहे ग्रामीण

स्कूल की बाउंड्री में फेंसिंग लगाने के बाद विवाद खड़ा हो गया और ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। शिक्षा विभाग के खिलाफ विभिन्न आरोप लगाते हुए अधिकारियों को भी लताड लगा दी। जब ग्रामीण अपने अधिकारों का तकाजा लेकर आरोप लगाते रहे। हैरानी का पहलू है कि पंचायत प्रधान भी इस विरोध में शामिल रही और मुख्याअध्यापक पर दबाव बनाया है। बीपीओ से भी शिकायत कर डाली। बीपीओ जनक ने स्कुल का दौरा किया।

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6 माह में रास्ते के निर्माण की शिक्षा विभाग ने दी मोहलत

शिक्षा विभाग के अधिकारियों में खंड शिक्षा अधिकारी सुंदरनगर जानकी दास और केंद्रिय प्रथामिक शिक्षक कंचन सेन और मुख्याध्यापक रेखा देवी ने मौके की नजाकत को देखते हुए ग्रामीणों और पंचायत को अतिरिक्त 6 माह की मोहलत दी है।  शिक्षा विभाग द्वारा इस अवधि में अगर रास्ता पंचायत बना लेती है, तब भी और नहीं बनाती है, तब भी वह अपनी सीमा को सुरक्षित करने का निर्णय लिया है।

क्या कहते हैं अधिकारी

इधर, पंचायत प्रधान सुषमा देवी ने कहाकि प्रशासन को कार्रवाई के लिए शिकायत भेजी गई है। पंचायत इस विवाद को टालने के पक्ष में है।

वही इस संबंध में प्राथमिक स्कूल में मुख्याध्यापिका रेखा देवी ने बताया कि सरकार के आदेश के अनुसार स्कूल की सुरक्षा और बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से बाउंड्री कवर करने के लिए लोहे की फेंसिंग की गई है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ने अपनी जमीन पर यह फेंसिंग की है। ग्रामीण कहते हैं कि हमारा रास्ता गुजरता है। जबकि इनका स्कूल के परिसर से कोई लेना.देना नहीं है। लेकिन फिर भी ग्रामीण हित में निर्णय लेते हुए 6 माह की मोहलत अतिरिक्त दे दी गई है।

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