Sunday, June 8, 2025
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KolDam NTPC: कोलबांध विस्थापितों की अनदेखी कर रही एनटीपीसी प्रबंधन और प्रशासन

KolDam  NTPC: कोलबांध विस्थापितों की अनदेखी कर रही एनटीपीसी प्रबंधन और प्रशासन

 

KolDam  NTPC: कोलबांध विस्थापितों की अनदेखी कर रही एनटीपीसी प्रबंधन और प्रशासन

Himachaltoday.in
बिलासपुर एन.टी. पी. सी. कोल बांध में मूल विस्थापितों के लिए जमथल में आर.सी. कालोनी कंपनी द्वारा अपने कर्मचारी आवास के निकट बनाई गई है। लेकिन उस स्थिति बेहद दयनीय है।  सीवरेज, सड़कों, झाड़ियों, बिजली के खंभों और तारों की उचित देखभाल न होने के कारण इन कालोनियों में रहने वाले लोग परेशान हैं। इसके साथ यह कालोनियां शेरपा की हों, चमियॉन कसोली की या फिर कांगू की, सभी जगह स्थिति बदतर है। कालोनी बनाने के बाद आज तक विकास के नाम पर एक पैसा खर्च नहीं किया गया। प्रशासन ने भी मांग करने के बावजूद कंपनी के साथ अनदेखी की है। 
कांग्रेस ने एनटीपीसी पर लगाए भेदभाव के आरोप
कोल बांध विस्थापित व प्रदेश कांग्रेस पूर्व सचिव हीरापाल सिंह ठाकुर का कहना है कि क्षेत्रों के विकास के लिए आने वाली धनराशि का सही उपयोग हो। उन्होंने कहा कि आर. सी. कालोनी में रह रहे विस्थापितों की समस्याओं को अनदेखा कर जिला और अन्य प्रशासनिक अधिकारी जब भी क्षेत्र में आते हैं, वे केवल कंपनियों के रैस्ट हाऊस तक सीमित रहते हैं। उनका कहना है कि कंपनियां और प्रशासन विकास के नाम पर अधिकतर पैसा अपनी सुविधाओं पर खर्च कर रहे हैं। उनका कहना है कि आर. सी. कालोनी और अन्य विस्थापित क्षेत्रों के लोगों के साथ हो रहे अन्याय को रोकने के लिए सरकार और कंपनियों को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना होगा। विस्थापित चाहते हैं कि इन क्षेत्रों के विकास के लिए आने वाली धनराशि का सही उपयोग हो।
सरकार भी है जिम्मेदार
आर.सी. कालोनी जमथल में रह रहे विस्थापितों का कहना है कि सरकार और संबंधित कंपनियां उनकी कालोनी के रखरखाव के लिए जिम्मेदार होने के बावजूद भी जिम्मेदारी निभाने में असफल रही हैं। जो एक प्रतिशत पैसा इन क्षेत्रों के विकास के
 लिए आना चाहिए था, उसे जिला के अन्य हिस्सों में खर्च कर दिया जाता है। 

पंचायतों और चहेतों पर खर्च हो रह विस्थापितों के विकास का पैसा 

जिला प्रशासन और राजनीतिक हस्तियों के इशारे पर इस धनराशि को अन्य पंचायतों में हस्तांतरित किया जा रहा है, जिससे स्थानीय पंचायतों और विस्थापितों के साथ अन्याय हो रहा है।
मूल विस्थापितों से भेदभाव 
लोगों का कहना है कि मूल विस्थापितों को रोजगार और ठेकेदारी में प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। बाहर के लोग ठेकेदारी का फायदा उठा रहे हैं, और इसमें भी पिक एंड चूज की नीति अपनाई जा रही है। कंपनियां केवल उन लोगों को लाभ दे रही हैं जो उनके हितों को साधने के लिए तैयार हैं या राजनीतिक दलों से जुड़े हैं।

विस्थापितों को अभी तक नहीं मिला उनके हक का दो प्रतिशत पैसा

जिन विस्थापितों की जमीन अधिग्रहीत की गई, उन्हें अभी तक उनके हक का दो प्रतिशत पैसा नहीं मिला है। इसके अलावा विस्थापितों के लिए बनाई गई सुविधाओं जैसे स्कूल, बस सेवा और आवासीय कालोनियों की स्थिति बेहद खराब है।

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