75 सालों में दलित बहुल गांव को सड़क नहीं बना पाई हिमाचल सरकार, पीठ पर लाद कर अस्पताल लाये जा रहे बीमार
Himachal: देश जब अमृत महोत्सव के दौर से गुजर रहा है, वहीं दलित बहुल गांव को सड़क नहीं बनी। सरकार की अनदेखी और विभाग के रवैए के कारण जड़ोल में दलित बहुल गांव आज भी अधिकारों और मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है।
बीमार होने पर किसी चादर में अपने बीमार को पीठ पर लाद अस्पताल पहुंचा रहे है। चादर में लपेट कर अस्पताल ले जाते समय लोगों में बहुत गुस्सा पनपता है।
दलित बहुल गांव को सड़क नहीं बनने पर यह कहना है विभाग का
लोक निर्माण विभाग सुंदरनगर के अधिकारियों ने कहा कि सड़क निर्माण के लिए कार्य ठेकेदार को सौंपा है। ठेकेदारों को निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश किए गए है।
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सुंदरनगर । देश को आजाद हुए सात दशक बीत चुके हैं। देश डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा है। पर, कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां आज भी विकास की किरण नहीं पहुंची है। । ऐसा ही हाल सुंदरनगर उपमंडल के अंतर्गत ग्राम पंचायत जडोल में टारू गांव का हैं। जहां आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी आज तक जमीन देकर भी दलित बहुल गांव को सड़क नहीं बनी है। गांव में सड़क न होने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जबकि इस गांव की दूरी सुंदरनगर मुख्यालय से मात्र 12 किलोमीटर है।
गांव में बीमार पड़ने पर लोग पीड़ित को चादर में लपेट कर तथा चारपाई पर लादकर अस्पताल ले जाते हैं। हालांकि, डेढ़ वर्ष पहले इस रास्ते के निर्माण के लिए प्रक्रिया शुरू की गई। गांव वालों ने सड़क बनाने के लिए स्वैछा से तीन से लेकर पंद्रह बिस्वा तक जमीन विभाग के नाम भी कर दी है। आरोप है कि जो गांव इस सड़क से जोड़े जा रहे है, इनमे ठाकुर पंडित के अलावा अधितर आबादी दलित वर्ग की है।जिस कारण विभाग इस सड़क के निर्माण में गंभी ही नही है।
विभाग द्वारा डेढ़ वर्ष पहले सड़क का बाजे आदि बजा कर जश्न मनाया और विधायक के हाथो शिलान्यास करवाने की औपचारिकता शुरू की। लेकिन सड़क के लिए अभी आधे भाग में कटिंग और खुदाई करके ठेकेदार मौके से नदारद है। इस घटना को एक साल बीत गया है। दलित बहुल गांव को सड़क नहीं बनी है ।
बार बार विभाग के अधिकारियों से मांग की गई। पहले विभाग आश्वासन देता रहा। लेकिन अब अधिकारी सड़क की मांग करने आए ग्रामीणों पर भड़क जाते है।
सड़क निर्माण को आम के फलदार पेड़ों को काट कर करीब 14 बिसवा जमीन दान देने वाले बुजुर्ग चमरू राम अपना दर्द बयां करते समय अपने आंसू नहीं रोक पाया और रो पड़े। बीते वर्ष अगस्त में भारी बारिश के दौर में आधी छोड़ी खुदाई के कारण सड़क का बहुत बड़ा भाग बह गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि हर बार चुनाव के समय नेताओं के द्वारा सड़क बनाने का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन चुनावों के बाद कोई भी नेता गांव की तरफ नहीं देखता है। लोगों ने बताया कि विभाग के विभिन्न अधिकरियों से मिलकर कई बार गांव में सड़क निर्माण के लिए आवेदन दिया। लेकिन इसके बावजूद भी आज तक विभाग ने गांव में सड़क निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।
ग्रामीण महिला सपना देवी ने कहा कि उनके पति दिव्यांग है और गांव में सड़क नहीं होने से एंबुलेंस तो दूर छोटे वाहन तक नहीं आ सकते। जिससे उनके परिवार को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है।
स्थानीय वासी चुनी लाल ने कहा कि आने-जाने में लोगों को काफी परेशानी होती है। बीमारी की हालत में मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है।
– नंद लाल ठाकुर ने कहा कि इस सड़क के लिए साथी ने अपनी उपजाऊ जमीन विभाग को दान दी है। लेकिन सड़क न बनाने के कारण बच्चों को स्कूल ले जाने, बीमारो और बुजुर्गो को आने जाने में बहुत दिक्कत झेलनी पड़ती है। भारी बारिश से हुई क्षति पर कई बड़े अफसर आए और मौका कर के आदेश भी कर गए। लेकिन उनके बाद न पटवारी और न कोई अन्य अधिकारी ही आया और न कोई कारवाई को गई, न किसी के नुकसान का मुआवजा मिला है।
मनसा राम ने कहा कि सड़क नहीं बनाई जा रही। है। इससे गांव से दो किलोमीटर दूर रोड तक पैदल आना पड़ता है।
ग्रामीण सरकार से मांग करते है की दलित बहुल गाँव की अपनी समस्या है । सरकार द्वारा इस इलाके ऐसा विकास के नाम पर समुदायक शौचालय तथा एक आंगनवाड़ी है ।
बिट्स वर्ष अगस्त माह ऐसा हुई भारी बारिश के नुकसान का निरिक्षण करने आये अधिकारी और पंचायत के प्रधान आदि दोबारा न तो वापिस आये और न ही सरकार के भेजे मुआवजे की राशि किसी पीड़ित किसान को दी गयी।
अंसारी की रिपोर्ट।
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